औरत, आदमी और छत , भाग 11
भाग,11
दीवाली के चार दिन बाद ही घर से चलना हुआ था।शनिवार फिर रविवार, आज सोमवार है आज वही पहली बस पकड़ी है।नौं बजने वाले हैं,मिन्नी के आफिस़ फौन किया तो पता चला कि वो तो कल से छुट्टी पर है।
शायद रीतिका को छोड़ने गई हो। मैने सोचा था।
मैने हॉस्टल का ही ऑटो ले लिया था। कन्नु मुझे रास्ते में ही मिल गई थी। वो भी सीधे घर से ही आ रही थी।हम मिठाइयों और पटाखों कि जिक्र करते करते हॉस्टल तक पहुंच गए।
तुम्हारे कमरे में दूध होगा ,नीरजा , जाते ही चाय बनायेंगें।
क्या पता अभी मिन्नी भी हास्टल ही हो।
देखते हैं ,मैने कहा था।
जाते ही दरवाजे पर लगे ताले ने हमारा स्वागत किया था। पहले मेरा ही कमरा था। मैने ताला खोला था, कमरा आज पहली बार कुछ अस्त व्यस्त लगा था। जबकि मिन्नी तो हर चीज को बहुत सलीके से रखती थी। मैने बैग रखे ही थे कि तभी कन्नु आ गई।
नीरजा दूध है क्या।
देखती हूँ।
देख नहीं तो कहीं से माँग कर लाती हूँ।
दूध तो नहीं था नीबूं रखे थे, हमनें दूध माँगने की बजाय नीबूं की चाय पीना ही बेहतर समझा।
हम दोनों ही अपने अपने गंतव्यों की तरफ निकल पड़े थे।
आज काम भी ज्यादा था आफिस़ में,दिमाग कहीं और गया ही नहीं।
शाम को छुट्टी के वक्त फिर मिन्नी की याद आ गई थी। शायद अब तो आ गई होगी ।
मैं हॉस्टल पहुंची तो सुबह की तरह कमरे पर ताला था। बेमन से ताला खोला था । मेज पर पर्स रखने को हुई कि तभी ग्लास के नीचे रखें एक कागच पर नजर पड़ी।
नीरजा ,शायद तुम कल आओगी।मैं आज तीन चार दिन के लिए बाहर जा रही हूँ।। कुछ जरूरी काम है। दूधवाले को मैने बोला था वो सोमवार को आयेगा।अपना ध्यान रखना।
मैने सबसे पहले कमरे को ही ठीक करना शुरू किया।मिन्नी की अलमारी भी अधखुली ही थी। मैने जैसे ही उसे बंद करने के लिए पूरा खोला तो देखा कि अंदर भी बहुत बूरी तरह से कप ड़ो को ठूसा गया है ।मैने उस के कपड़ों को भी ठीक कर दिया।
मिन्नी मिन्नी कहाँ हो यार देख तेरे लिए माँ ने क्या दिया है। कन्नु दरवाजे से ही बोलती आई थी।
मिन्नी तो नहीं है कन्नु,आ बैठ।
अभी आई नहीं है क्या।
वो तीन चार दिन के लिए कहीं बाहर गई है।उसका लिखा संदेश दिखाया मैने उसे।
कहाँ गई होगी यार मिन्नी तो कहीं आती जाती भी नहीं।
रीतिका को छोड़ने गई होगी, यार , वहीं रूक गई होगी।
नहीं यार कभी भी एक दिन से ज्यादा कहीं नहीं रूकती।उसका जॉब भी तो ऎसा ही है कि वो छुट्टी ले ही नही सकती।
खैर यार होगा कोई काम आएगी तो पता चल जायेगा।
मैने बातो ही बातों में अपनी अलमारी सेट कर ली थी।।
कन्नु मिन्नी के लिए लाएं हुऐ पैकिट को जैसे न रखती बन रही थी ,न छोड़ते बनरही थी ।
खाने का क्या करोगी नीरजा। घर से कुछ लाई हो क्या।
लाई हूँ,पर सब मीठा ही मीठा और तुम?
अरे यहाँ भी यही मीठे के ही किस्से हैं।
चिंता की जरुरत नहीं बालिका, हमारे खजाने मेंआलू प्याज धनियां रखा है, दलिया बनायेंगे।
ठीक है मैं आती हूँ। कन्नु उठ कर बाहर चली गई थी।
तभी दूधवाला आया था।उसकी दस्तक और आवाज़ से जब मैं बाहर निकली तो वो बोला,"आगई बहनजी,शनिवार को आया तो मिन्नी बहनजी कह रही थी कि कल मत आना मैं तो जाऊँगी, हाँ सोमवार को नीरजा आ जायेगी।
हाँ मैं आज ही आई हूँ।कन्नु भी आई है उसको भी दे आना।
ठीक है बहनजी।
कन्नु ने और मैने खाना इकठ्ठा ही खाया था,मेरे कहने से वो इधर ही सो ग ई थी।
रीतिका वीरेंद्र से बहुत जुड़ी हुई है ना। मैने कहा था।
बहुत ज्यादा । वीरेंद्र भी बहुत प्यार करता है। कहीं भी जायेगा, उस के लिए कुछ न कुछ जरूर लायेगा।
वीरेंद्र कहीं नौकरी करते हैं क्या।मैने पूछा था।
नहीं यार उसका अपना ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस है। गांव में ज़मीन वगैरह भी है काफी।
यहाँ तो अपने भाई के साथ रहता है। क्योंकि काम यहाँ है।
ये शादी शुदा नहीं है शायद।
इसका भी तलाक हो चुका है। एक साल पहले तो इसने मिन्नी को बहुत कहा था शादी कर लेते हैं।
फिर मिन्नी ने क्यों नहीं की।
उसका ये मानना है कि एक शादी का नतीजा ये निकला तो दूसरी के बारे में सोचना ही बेकार है।
बेवकूफ है मिन्नी, हादसे रोज नहीं होते वो तो इत्तेफाकन हो जाते हैंऔर हादसों के डर से हम चलना तो नहीं छोड़ते ना।
बात तो तुम्हारी ठीक है नीरजा, यहाँ पहले स्नेह दीदी रहती थी , उन्होंने भी बहुत समझाया था ,मिन्नी को,ये जो सरोज दीदी हैं इन्होंने भी बहुत समझाया था,अपने अकेलेपनके हवाले से, पर वो अपनी ही बात पर अड़ीं रही।
मिन्नी के एक बहुत दूर के रिश्ते के भाई के दोस्त हैं वीरेंद्र। उन भैया ने भी बहुत कहा था।
वीरेंद्र के परिवार वाले इस रिश्ते से खुश हैं क्या?
उन तक तो शायद बात भी न पहुंची हो, और वे इसके लिए तैयार भी नहीं होंगे।
वीरेंद्र का भी तो तलाक हो रखा है।
हमारा समाज पुरूष प्रधान है नीरजा डियर, यहाँ पुरूष के सौ गुनाह माफ हो सकते हैं ,पर स्त्री के साथ हुआ एक हादसा भी इन लोग को बहुत अखरता है।
ये तो है, मुझे भी हकी कतन उसका सर्मथन करना पड़ा था।फिर वीरेंद्र किस बिनाह पर शादी के लिए कह रहा था,जब उसके घरवाले ही नहीं मान रहे थे।
वो कह.रहा था कि कोर्टमेर्रिज करके साल दो साल किसी बाहर शहर रह लेंगे, फिर तब तक वो अपने परिवार को मना लेगा।
हाँ बात तो ये भी ठीक थी।
वो बहुत प्यार करता है मिन्नी से।
तो वो तो मिन्नी भी करती होगी।
बातें करते करते पता नहीं कब नींद आ गई थी।
फिर वही रोजाना की दिनचर्या और वही ढर्रा।
मिन्नी के बिना कमरा अधूरा सा लगता था। हर आहट पर उसका इतंजार रहता था,मैं ही नहीं कन्नु भी उदास थी उस के बिना। वो थी.ही इतनी प्यारीऔर नेक हरेक की मदद के लिए तत्पर रहती थी जैसै।
आज वीरवार है शायद आज मिन्नी आती हो, क्या पता आ ही ग ई हो।
उसकी डाक लगभग रोज आती है ,वो कहानियां आदि भी लिखती रहती है।
अभी भी कमरेके दरवाजे पर ताला ही लटका था।
मैने अभी ताला खोल कर लेटी ही थी कि बाहर से बैग के पहियों के घिसटने की आवाज़ आई मुझे लगा कोई कही जारहा होगा। क्योंकि मिन्नी के पास बिना पहियों के बैग थे। तभी कमरे का दरवाजा खुला और मिन्नी अंदर आ गई।
हाय नीरजा कैसी हो?
मेरी छोड़ो तुम बताओ, कहाँ चली गई थी कैसी हो।आरे वाह मिन्नी न्यू सूट बहुत सुंदर लग रहा है,क्या बात है भ ई,आपका चेहरा भी बड़ा नूरानी लग रहा है डियर।
गर तुम अपने इस थर्ड क्लास शेरो शायरी से बाहर आ ग ई हो तो मुझे दो घूट पानी पिला दो, मेरा सर फटा जा रहा है।
उसने मुझे बताया था की उसे माइग्रेन की बीमारी है।
मैं उठ ग ई थी वो बाथरूम में घुस ग ई थी पानी का शौर बता रहा था कि वो नहा रही है। ठंड में ठंडे पानी से नहाना।
वो बाथरूम से निकली तो उसनें अपने बाल पूरी तरह से भिगो रखे थे।
नीरजा मैरे पर्स में टैबलेट्स का पैक होगा, एक टैबलेट निकाल कर जल्दी दो प्लीज।
पर्स कहा है मिन्नी मैं भीउसकी तड़पन से जैसे घबरा ग ई थी।बैग में होगा देख लो यार, मैने बैग का सारा सामान आपने बैड पर पलट दिया था।उसका पर्स मिल गया था, मैने उसे एक गोली निकाल कर दे दी थी।
उसनें बोला कि दो नीबूं से एक ग्लास पानी बना दो।
पर मिन्नी, ठंड में
प्लीज नीरजा
ओके ओके।
मैने नीबूं पानी बना दिया था।वो हड़बड़ी में उठी ,नीरजा मेरी अलमारी में एक शीशी है छोटी सी उसमें से एक गोली निकाल कर दे दो।
मैने वैसा ही किया जैसा उसनें कहा था।वो चद्दर औढ़ कर लेट ग ई थी।
मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि क्या करूं।तभी नीचे से मिन्नी फौन है कि आवाज आई थी।मैने एक नजर मिन्नी को देखा और मैं नीचे आ गई।
मैने जैसे ही रिसीवर कान को लगाया, कैसा है दर्द अब?
मैं नीरजा बोल रहु हूँ,आप कौन।
सारी सारी नीरजा जी, मैं वीरेंद्र बोल रहा हूँ। मिन्नी भी तो पहुंच गई होगी।वो क्यों नहीं आई।
उसे बहुत तेज ,माइग्रेन हो रखा है, अभी दस मिनिट पहले ही दवा ओर नींबू पानी दिया है।
आप कहें तो मैं आ जाता हूँ,डॉक्टर को दिखा देते हैं।
मेरे हिसाब से ये सभंव नहीं होगा, उसने आते ही दर्द की वजह से ठंडा पानी सिर में डाल लिया है और अब शायद वो ठंड भी महसूस कर रही हो, वैसे अभी वो सो भी ग ई हो शायद।मैं देखती हूँ।
मैं क्या करूं।उसके स्वर में बेचैनी थी।
वो ठीक हो जायेगी आप चिंता न करें।
मैं ऐसा करता हूँ,किसी डॉक्टर से मिल कर दवा पूछता हूँ और फिर भिजवाता हूँ। आप प्लीज नीचे आकर ले लीजिएगा।
वो अभी दवाई ले चुकी है।अलग अलग दवाइयों से कहीं कोई दिक्कत न हो जाए।
ठीक कहती हैं आप, प्लीज़ आप उसका ध्यान रखिएगा।
आप चिंता न करें।
मैं उपर आई तो वो शायद सोई पड़ी थी। मैने हल्के हाथ से उसका सिर सहलाया तो वो थोड़ा कुनमनाई और फिर सो ग ई।
मैने उसके बिखरे बैग को व्यवस्थित करना चाहा,तो मेरी नजर उस साड़ी पर पड़ी जो वीरेंद्र उसके लिए लाया था। मैंने सब सामान उसके बैग में डाल दिया था। मैं खाने के लिए सोच ही रही थी कि नीचे से मेरे नाम की आवाज़ आई।
नीचे आई तो देखा एक उन्नीस बीस साल का लड़का था।उसने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया और एक सामान का पैकिट मुझे देकर बोला।दीदी इसमें जूस का बोतल ओर लिम्का का बोतल है आप मैडम को पिला दीजेयगा , साहब ने कहा है उन्होंने सुबह से कुछ नहीं खाया है।और दीदी ये फोन नम्बर है कोई भी दिक्कत हो तो आप इस नबँर पर बता दीजिये गा। उसके हाथ जुड़ गए थे।
मैं उपर आ गई थी। मिन्नी वैसे ही लेटी हुई थी। मैने सामान देखा उस में से जूस का थर्मस निकाल कर मैने मिन्नी को पिलाने के लिए गिलास में जूस डाला। उस को थोड़ा उठा कर मैने जूस पिला दिया था।
गोली का नशा था ही वो बेसुध सी दोबारा लेट गई थी।
मैं सोच रही थी क्यों नहीं शादी कर लेती ये वीरेंद्र से कितना ध्यान रखता है।तभी कन्नु आई थी।मिन्नी को देख कर बोली, "इस को माइग्रेन हो गया शायद। हाँ यार इसकी तो बहुत हालत खराब हो जाती है।"
मैंने उसे दवाई के बारे में बताया तो उसने बताया कि ,"ये गोली उसे डॉक्टर ने ही लिख कर दी हुई है। वो अब तीन चार घंटे में ठीक हो जायेगी।"
क्रमशः
लेखिका, ललिताविम्मी
कहानी,औरत आदमी और छत।
भिवानी, हरियाणा
Vfyjgxbvxfg
08-Jul-2021 02:47 PM
Bahut bdhiya story h
Reply
🤫
08-Jul-2021 02:41 PM
बेहद शानदार.....!! खूबसूरती से तालमेल बिठाया है कहानी में सुंदर भाषा शैली....अगले भाग की प्रतीक्षा में...!!
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